कितरै नैठाव सूं

जलम्यौ व्हैला

म्हारौ गांव!

हियै मांय हबोळा खावतै उछाव

किणी लियौ बिसराम

पगरखी छेड़ै खोल

बुहारी व्हैला जमीन

बुई री बुहारी सूं

सिणियै री टोचरी

माथै रौ पसेवौ पूंछ पोतियौ

धर्यौ व्हैला

कर्यौ व्हैला गुमान

भुजा रै भरोसै माथै

सूरज-चांद कै अणबोल

ओठारू री साखी मांय

थरप्यौ खुदरौ मुकाम

म्हारौ गांव

पसेवौ बावतै भोमियां रै नांव

सिग चढतोग्यौ

काण-कायदां रै ओळावै

रीत-भांत जात-पांत

कै बीजी बातां बणी

मरणै-परण्यै सूं लेय’र

खैण-खंदेड़ा तांई री

अपणायत रौ नीं होवतौ मोल

परसंगी-पावणै रै ओठारू री

नीरणी रौ नीं होवतौ तोल

मौत रै लेखै मरता

जीवण रै खातर जीवता

काळ कुसमै

कतारां सूं बापरियोड़ौ धान

खावता मिल-बांट’र

धरम रै लेखै उगावता,

चौरायै-चौरायै बिरछ

बसावण रै खातर

बसावता कर-कर कोड

पसुवां रै चरणै खातर

छोड देवता जोड

जिणरौ धोचौ तक काटणौ

देवता री साखी मांय

गिणीजतौ पाप

मरजादा मिनखां रै मन मांय होवती

ठा नीं कुण जलम्यौ

म्हारै गांव मांय चलाकी रौ पैलौ पूत

किण भणाई पाप री बारखड़ी

कै आंख्यां देख्यौ

नीं सुवावै हेतरौ हींडो

कजळाइजगी मरजादावां,

मरग्यौ मिनखपणौ

नावां रै साटै नागौपण

उतरग्यौ मन-मन मांय

तन रौ तेड़ौ

विलाइजग्यौ

धन रौ छेड़ौ नीं अंतपार

हित्या मामलौ मुकदमौ

सगळा बैवार

म्हारै इण ठाणै री

बण रैया ओळख

कठै सोधूं अैड़ा कंठ

जिका सैंजोरौ हेलौ मार दै

धरती रै उण धणी नै

जिण बुहारी व्हैला धरती नै

बुई री बुहारी सूं

अैड़ै कुचमादी मौसम में

किण नै पिताणूं

जिका बाढण लाग रैया

धरती नै आरी सूं

इण अंधारै रै आथमतै सुरजी में

कठै सोधूं परकास

कठैई परबारौ अड़ोप लूं

अैड़ौ थाळौ

पण इणरी साखी

कुण भरैला कै परमाणु रो नाळौ

उठै नीं पूग सकैला

पण छौ हाइड्रोजन बम रौ धुंऔ

म्हारी आंख्यां में पाथर जावै

म्हारै मन रै म्हैल-माळियां नै

वौ नीं धौड़ सकै

जिण मांय आठ-पौर चौईस घड़ी

अेक औतार सैंचनण होवै

जिकौ हेत रै तागै

अक बीजै मुलक नै जोड़ सकै

घड़ सकै अैड़ा मिनख

जिका औझकै मांय नीं झिझकै

नीं तिरसंगजी री

ठरकाई रौ ठरकौ होवै

बस! मिनख रै अैड़ै छेड़ै

मिनख इज होवै

मरजादा मादळियै मांय

मंढावण री चीज नीं होवै

मिनख रै मांयलै मंगतापणै नै

मार देवै

गुरुमंतर कुण देवै

अैड़ी रिंदरोही में

धरती रा धोरी

थनै बुई नै सिणियै री सौगन

अेकर पाछौ आव

नै पूँछ पसेवौ पोतियै सूं

पाछी वैड़ी पोतियै सूं

पाछी वैड़ी निरमळ बाव ढुळाव

जिण में सौरम सौरम होवै

सिरजण रै सांच री

मिनखापण री आंच री

तौ —ढवलै धरती रा धणी

म्हारै गांव

करलै विसराम

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : चेतन स्वामी ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण
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