मुरधर मांही थनै सब, सब ढाणी-मजरां-गांव खेजङी
कियां बखाणुं थांरी माया, धन-धन थांरी छांव खेजङी॥
खङी अेकली थूं मदमाती।
कैर बोरङी थांरा साथी॥
धोरां में थूं कीकर जीवै?
किंया रेत में खावै पीवै?
कोसां तांई निजर न आवै, जळ रो कोई ठांव खेजङी।
तो भी बारह मास हरी थुं, धन-धन थांरी छांव खेजङी॥
नित रा ओळ्यूं-दोळ्यूं थारै।
काळा हिरण कुळांचा मारै॥
मोर, कमेङी, कुरजां बोलै।
गोडावण रा जोङा डोलै॥
कदै डाळा पै कोयल कूकै, करै कागला कांव खेजङी।
ऊंट पानङा खा अरङावै, धन-धन थांरी छांव खेजङी॥
स्याळो अर उन्याळौ झेलै।
आंधी अर डुगट सूं खेलै॥
लू री लपटां लावा लेवै।
पण थूं उफ तक नीं बोलै॥
म्हां लोगां रा जूता जक में, दाझण लागै पांव खेजङी।
पंथी रुक विसराम करै है, धन-धन थांरी छांव खेजङी॥
तीज तिंवारां मांडा मौकै।
कनै बणी पथवारी धोकै॥
बींद-बींदणी भैरूं पूजै।
मीठा गीत बधावा गूंजै॥
कदै लुगायां कथा पढै है, थांरो अजब सुभाव खेजङी
सुरतरु मान थनै पूजै है, धन-धन थांरी छांव खेजङी॥