मन मौजीलो
धूड़ बवंडर,
मिसरी मीठो
थार समंदर!
बासी रोटी
आधो कांदो,
सुदियां पै’ली
भातो बांधो!
कैर सांगरी
बोर मतीरो,
मोठ बाजरी
तारोमीरो!
माटी सोनो
चांदी धोरा,
सावण भादो
धामण खोरां!
लू-कळायण
बिरळी बिरखा,
काळ जमानो
अेक सरीखा!
अेकलिंग सूं
रामा पीर,
चढै चढावो
थेऊ खीर!
धोती-जूत्ती
ठाडी पाग,
लहंगो-चुन्नी
खेलां फाग!
खपग्यो खिलजी
अकबर कूक्यो,
राणा प्रताप
कदी न झूक्यो!
मायड़ पूजै
बेटो कान्ह,
धन-धन म्हारा
राजस्थान..!