हजारु मील पसरेड़ो थार

अर थार में थरपीजैड़ा

नेड़ा-अलगा झूंपड़ा

जद भी देखां

किणी धोरे चढ़’र

तो लागै है जाणे थार

पसार राख्यो है पीळो

अर आभो जड़ण लाग रियो है तारा।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’ ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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