हुसी अबै जद-कद रोही में चुणाव

जीतसी सुसियो

हारसी ना’र

देसी निबळा जिनावर

निडर हू’र आप रा मत

हुसी ना’र, बघेरा, चीतां री घणी दुरगत

हुज्यासी देस-दिवाण चलाक लूंकड़ी

लाग ज्यासी गंडक हाथ्यां रै लार

हुज्यासी बानरा घोड़ां पर असवार

बैठ ज्यासी उछळ'र मींडका स्यांपां रै फण पर

बांध देसी ऊंदरा मिनक्यां रै गळै में घंटी

रै’सी जका छड्या-बीछड्या ना'र-बघेरा

बै लेसी अभयारण्यां में सरण

का लादसी चिडियाघरां रै पींजरां में काटता चक्कर

का बणा'र राखसी बां नै गादड़ा

सरकस मासटर रो हंटर।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत काव्यांक, अंक - 4 जुलाई 1998 ,
  • सिरजक : कन्हैयालाल सेठिया ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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