गिरस्थी
गिरस्थी रो अरथ
लुण, तेल, दौड़-भाग करणो
कदै जागतां हो सोवणो
कदै गोवतां ही रोवणो!
जीवण चक्कर
रातनै चली जावण दयो
पछै
एक नूवों दिन आवण दयो
लहर
जकी अबार ही भचभेडा खाय र गई है।
उण सरीखी ही
लहर सूं एकर भळै
भचीड खावरण दयों!
लोकतंत्र
लोकतंत्र में
जनता री आबाज
जाणै
घुट्योड़ै बंद कमरे में
'टाइमपीस' रो टक टक..!