अेक

कूड़ा मैं सूं एक कूड़ो 
अर चोरां मैं सूं एक चोर ही 
छांटणो पड़सी भाई 
मजबूरी है
रै! 

संविधान रो रोजणो रो'र 
मसीनड़ी पर आंगळी 
टेक्यां ई जासी 
कै निसर'र बारै 
नांमरदी रै खोळ सूं 
चढ़ कानून री छाती माथै 
कोई हाको भी करसी कणा?

दोय 
कूड़ां मांयलो कूड़ो 
अर चोरां मांयलो चोर 
ओजूं आयो है 
लीलाड़ी कर्‌यां आगे
बोट द्‌यो 
थूं देस री चिन्ता करणियों 
बड़ो मास्टर 
सदा ही जाड़ा भींचे 
क कद लारो छूटसी 
आं कुमाणसां सूं

'और कियां हो प्रोफेसर सा'ब'
सुणतां ही टूट'र पड़्यौ
बी सूं हाथ मिलावण नैं

वा रै राज रा चाकर।


तीन 
एक गाड़ी 
अर एक होमगार्ड रै बूतै 
बूथ रै मांय अरड़ा'र 
भलो ई ठाकर हुयो यूं तो 
काम सावळ करो थे
रै!  

थारै सूं के छानो 
कै कब्जे मैं है 
सगळो बूथ 
च्यारूं कूट लट्ठ लियां ऊबा 
डेमोक्रेसी रा पूत

नीची करकै मूंडी 
चाल पड़्यौ गाड़ी रै कानी 
वारै सिस्टम रा पुरजा।

स्रोत
  • पोथी : तीजो थार-सप्तक ,
  • सिरजक : सुरेन्द्र डी सोनी ,
  • संपादक : ओम पुरोहित 'कागद' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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