पगरखी पग री
रूखाळी करण सारू होवै
पण अचरज इण बात रो
के आपां रै चेतै
पग आवै ई नीं
पगरखी ई ज चेतै बसे
चौघड़ी
अर आपां
उणरी रूखाळी करण ढूंकां
पग बापड़ौ निसांस नाखै
खुद रै दुभाग माथै के
आपां री बुद्धि माथै।