खिड़की दरवाजै सूं छोटी व्है

वो किणनै बुलावै

भेजे किणनै ई।

वा लगौलग देखै

आवता-जावता नै

अेक रिसी री दांई

खिड़कियां जाणै है

मून रौ अरथ

अर मोह रौ मरम

छोटी खिडकियां री दीठ

मोटा दरवाजा सूं ऊंडी व्है!

स्रोत
  • सिरजक : शैलेन्द्र सिंह नूंदड़ा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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