बरखा रूत है सुरंगी, तीज—त्योहार मनावण री
सावणियै री हरियाळी तीज
गोठ आणंद अर उच्छब
भादवो लावै सातुड़ी तीज
चैत, आसोज, नौरात्रि
चक नियम सिराखै
शुद्ध करै आचार—व्यौवार
आपणो हर त्योहार जुड्यो है
वैज्ञानिकता सूं, धारमिकता सूं
समझदारी सूं, सामाजिकता सूं।
सियाळै रै बाद नमी कम
करवां रै वास्तै
जग्यां-जग्यां ईंधन भेळो कर'र
जळावै होळी
एक जणै पर खरचो नीं पड़ै
क्यूंकै स्वास्थ्य री जिम्मेदारी
है सगळां री सामूहिक
हर घर सूं सैयोग रूप में
बड़बोल्या भेंट चढ़ावै
तापमान बढ़ावै
क्यूंकै घणी—सारी बीमारियां
नीं पनपै घणै तापमान में
आपणो हर त्योहार जुड्यो है
वैज्ञानिकता सूं, धारमिकता सूं
समझदारी सूं, सामाजिकता सूं।
दीवाळी राजा राम री अगवाणी में
बिरखा रै बाद सीलण फूलण नैं
दूर करवा बीमारियां नैं खतम करणै
हर चीज नैं तावड़ो लगाणो
घर रै खुणै—खचूणै रा जाला हटाणो
पाछो श्रीगणेश करणो नई खाता बही रो
आपणो हर त्योहार जुड्यो है
वैज्ञानिकता सूं, धारमिकता सूं
समझदारी सूं, सामाजिकता सूं।