कैवी दीवारी कैवी होरी

कैवी सन्दन कैवी रोली

गाम गाम नै गरी गरी मएं

मनख भरोसो बैठो खोई

मऊड़ी पीवी मस्ती करवी

घर मएं लाज वाट मएं डोली

कैवी दीवारी कैवी होरी।

हरवू फरवू हातै रैवू

हातै खावू हातै पीयू

हंसी खुशी नी वातै सौड़ी

भरी प्रेम नी घाघर फौड़ी

कैवी दीवारी कैवी होरी।

हवा अगन नै वर्षा पाणी

हूरज सन्दरमा नै ज्ञानी

वरस सदी युग युग नै बदल्या

बदली कैम मनख नी बोली

कैवी दीवारी कैवी होरी।

नावू धौवु पूजा सौड़ी

धरम करम नै करणी सौड़ी

केवा बेटा पाक्या भाई

खून भरी खेलें है होरी

कैवी दीवारी कैवी होरी।

तोड़ फोड़ नै आग लगाड़ी

ठगी तस्करी घर घर चोरी

फोड़ी नै फोड़ामण मांगै

खून खून नो रिश्तो तोड़ी

कैवी दीवारी कैवी होरी

कैवू सन्दन कैवी रोली।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : द्वारिका वल्लभ जोशी ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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