मिनख नीं होवतो तो

कुण पूछतो इण मौत नैं

कुण पूजतो इण लोक नैं

कैवतो कुण मरण री बातां

बतावतो कुण सुरग री साता

पकड़ावतो कुण पूंछ गाय री

पुगावतो कुण धार वैतरणी

कुण उथळतो इतिहास रा पाना

कुण धारतो केसरिया बाना!

मिनख ईज है

जको सबसूं पैलां मौत सूं

खुंडी अड़ाई

मिनख ईज है

जको मरण सूं आंख मिलाई

मिनख ईज है

जको मरण घर करी चढाई...

जे मिनख नीं होवतो तो

यमराज रो पाडो

रिगदोळ नाखतो आखी धरा

किचर नाखतो अंखुवा हरा

इण मिनख माटी रो मान राख्यो है

सामनै काळ रै स्वाभिमान राख्यो है

मिनख रा रंग है घणा

मिनख रा ढंग है घणा

मिनख री कूंत है दौरी

मौत बस अेक ठगौरी

मिनख जद ताणलै छाती

मरै है मौत री मासी

मिनख रै करम नैं मारै

अैड़ी मौत जामी है

मिनख नैं मिनख ईज मारै

मिनख में ईज खामी है।

स्रोत
  • पोथी : मुळकै है कविता ,
  • सिरजक : गायत्री प्रकाशन ,
  • प्रकाशक : प्रकाशदान चारण ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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