ढोलियै माथै

वीं नै

जाजम री ज्यूं बिछाय

म्हैं घणौ

ऊंडौ गियौ

अर पताळ रौ पींदौ सोदण

लाग्यौ...

पण मुट्ठी में आयौ फगत

कादौ

कादै में लड़थड़

म्हैं बारै आयौ

अर परसेवां में बैयग्यौ

जिंयां कोई

मकोड़ौ

नाळी में रड़भड़ांवतौ

जावै

वा होळै-सीक हांसी

अर जाजम

म्हारै माथै उळट नै

अळगी व्हैगी

जाजम रै तळै अंधारी कब्बर

कब्बर में पग लटकायां

अबै म्हैं

आठूं पौर मौत नै उडीकूं

अर मौत!

परतख मौत म्हांरै सूं सात फेरां

सात पांवडां दूर

हड़हड़ हांसै।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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