उडती चिड़कल प्रीतड़ली आकास,

पगल्या नी टिकता मुमल आंगणै,

पूज्या पीपर पीपळियै रा पान,

रैळा तौ राळ्या गवरल गीतां रा।

मांग्यौ मन में साइणै रौ साथ,

सपनां तौ संजौया नव खण्ड मैल रा।

सुणनै बाई रा पीळा करणा हाथ,

डावड़ौ देखण नै भाबौसा चालिया।

सामी मिळगी पाणी री पिणियार,

डावौड़ौ तीतर तौ मुदरौ बोलियौ।

लिखियां कांई लाडैसर रा लेख,

हीरां नै भाटै सूं भरनै भांगियां।

मूंघौ मिलियौ मन मैळू री साथ,

डायजौ बाई नै दोरौ दाजियौ।

सायब तुलिया तौरणियै रै तार,

हैज रै पलड़ै में हल्का लागिया।

कळ झळ करती केवै मांरी माय,

कूंपळ रै सावै में दावौ लागियौ।

काचै तागै बंधण बैठी कैळ,

चंवरियां चढ़तौड़ी मनड़ा मारिया।

कांई मावड़ करिया म्है तो पाप,

जायौड़ी जामण जैर क्यूं नी पावियौ।

कंवळी मूरत काठी वैसी जाण,

मनड़ै रै मिन्दरियै कौनी मेलती।

सैंजा बणगी सासरियै में सूळ,

प्रीत ने पइसां पलड़ै तोलिया।

धोळी करयौ घर नै दाता धौय,

डायजै डाडौ में देदी डावड़ी।

सासू नणदल बोलै डौडा बोल,

हैताळू रै पोनौ हैज नी हालियौ।

ढीली पड़गी जीवण बंधण डौर,

पांखड़ल्यां कटियोड़ी परबस पीड़ां में।

कौनी मिळिया साइंणा सिरदार,

भाबौसा भरम रा भाखर भांगिया।

मिनखैपण रौ करियौ कौनी मोल,

प्रेम रै प्याले में विषड़ौ घोळियौ।

मन में रैगी करणै री मनवार,

सासु रै जवांई मुजरा मैलण री।

कैइजौ कुरजा मावड़ली नै जाय,

ममता रै मारगियै बाईसा चालिया।

राखड़ली पूनम रौ बीरा चांद,

बैनड़ रै आगणियै करजौ चांनणौं।

भाबसा नै दीजौ थे सलाम,

आणी जाइज अे रंग री पोल्यां में।

डायजै री काळी मैटण रात,

पीळौड़ी परबात बणनै आवसूं।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै