सखी आपां हालां

उण देस जठै

प्रेम बरसै,

इमरत झरै

जद बोलै, कोई बोल

दुतकारो,

नीं इण जगत मांय

आवण सारू रोवण वाळो

जठै भै, मान अर सम्मान

बेटियां व्है माईतां री आभिमान।

स्रोत
  • पोथी : लुगाई नै कुण गाई ,
  • सिरजक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मंदिर
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