बेटी

बेटी री मा नै 
सुख सूं सोवणो कठै?
क्यूं कै 
जद बा 
बेटी ही 
जणां उणरी मा 
सूती-सूती
चिमकती, जागती 
सारी-सारी रात।


बेटी-2

बिजळी रो बिल भरण रा 
पीसा नीं हा 
बाप रो 
ढीलो मूंडो देख'र
बेटी आपरी 
पेटी मांय सूं 
मुड़ेड़ा रिपिया काढ ल्याई।

'ल्यो बापू!
फेर दे देइयो।'



स्रोत
  • पोथी : बेटी ,
  • सिरजक : मनोजकुमार स्वामी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : Pratham
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