बैठ्या मटका करो

मारो सबड़का

रगत रो पसीनो

बो ईज कर सकै

जिको आपरै

बूतै खड़ो होवै

जिनगाणी री बारखड़ी

जे सीख जावै

उणनैं मूंडो ताकण री

कांई दरकार

निसांसां न्हांखतो

चालणियो

कीं नीं कर सकै

म्हैं जाणूं हूं

दाळ में काळो है

पण काळै नैं

धोळो बणावण रो

जतन तो आपां नैं ईज

करणो पड़सी म्हारा भायला।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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