कपाल किया कर

सुपनांरी

खीरां पै हाथ सेकै, हाथ!

जिका कारीगर बण

कोरणी करी

सुपनां री सूरतियां घड़ी

घाटियां सूं गा'ल में

गुड़ियोड़ो

भाखर रो कालजो

अंधारै री गुफा में

घुर्‌रावै

ऊपर

बम नांखणी हवी जाजां

दाटै,

चीलां गुलगुला झपटती रैगी

जबाड़ौ

धरती रो फाटो

इजगरांरो 'अपरैसन'

फूटी कादे री धार

जिनांवरां री पूंछा

मिनखां रो भेजो

सोनै रो मिरग

रूपै री थाली

सांकल मोत्यांरी

चाम पै उघड़ी चीढां

कलूटी धरती रो

काया कलप।

स्रोत
  • पोथी : मिनखां जूण रो मोल ,
  • सिरजक : सत्येन जोशी ,
  • संपादक : बस्तीमल सोलंकी भीम ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य चिन्तन परिषद भीम जिला उदयपुर
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