लीरां-लीरां सीम जमारो माड़ूराम।

जिनगाणी नै सज-सिणगारो माड़ूराम॥

भूख गरीबी बिखै भीड़ रो

थारै घर में बासो रे,

सबद सुहाणां घस-घस देवै

थानैं मीठो घासो रे।

लेतो रहसी कद ताईं लारो माड़ूराम।

मीठी नै मत दे हुंकारो माड़ूराम॥

आंख्यां आंसू पीड़ काळजै

होठां हुकम हजूरी रे,

कद ताईं सहसी किरतकार री

मै’नत अर मजदूरी रे?

हाकम सा रो हुकम करारो माड़ूराम।

कद ताईं करसी तूं सिरधारो माड़ूराम॥

किण ताईं करसी चोर-लूटेरा

था सूं सीना जोरी रे,

अन्न-धन लिछमी बांध राखसी

कद ताईं साह तिजोरी रे?

सबद-बाण रो दे टणकारो माड़ूराम।

खून पिवणियां नै ललकारो माड़ूराम॥

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : जनकराज पारीक ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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