सुण्यो कै

किसनै रा बापू?

दिल्ली मैं बम्म फूटग्या

ताज नै आतंकी लूटग्या

अर थै

लाम्बी ताण'र सोय रैया हो

सरम संकों है कै नीं

सोवण दै कनी

क्यूं नींद री सित्या पटै

आपणै देस रा नैतावां री बुद्धी

आज कालै घास नै बै चरै

म्हारै जियान का

छोटा मिनख नै पूछै कुण

मैं ना तो लड़बो जाणूं

अर ना हटबो जाणूं

अेक नम्बर रो निरथक हूं

पण गांधी जी रो भगत हूं

म्हैं देस रो आम

दिन रात पिसबो म्हारो काम

म्हनैं आं सूं कांई लेणो देणो

तड़कै रो ओजको

कालै रात फेरूं काम माथै जावणो

बगत बचैगो तो आपणै खेतां डोळ लगावणो

लुगाई बोली-सित्यानास!

थारै जियानंका मोट्यारां रो

देस माथै संकट

अर थानै काम री पड़ी

आज तो छाती ताण'र

लड़बा री घड़ी

नेता तो नेता री करै

दिन रात जेबां भरै

पण थे क्यूं मूरख बणो हो

उठावो लठ्ठ

मूछ्यां द्यो बट्ट

हियै में कूट-कूट'र भरल्यो

देस भगति रा भाव

नेतावां अर आतंक्या नै

सागै ललकारद्यो

अेक लट्ट आरै अर

दूजो बारै फटकारद्यौ।

स्रोत
  • पोथी : सातवों थार सप्तक ,
  • सिरजक : ओम अंकुर ,
  • संपादक : ओम पुरोहित 'कागद' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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