बदलता बग री
हलचळ में अबै
खोखळी हुई मुळकाण
दिल सूं प्यार रो
जज्बो गुम है
बेवफाई रो मौसम है
अबै मतलब रै
बाजार में
थारो-म्हारो रिश्तो गुम है।
हर दिल में लालच है
दौलत चाहे
कित्ती मिल जावै
आदमी रो दिल
ख्वाहिशां रो जंगल है।
बगत री ठोकर खाय’र
सुनहरा सपना गुम है
हर दिल में
अजीब सी हलचळ है
कीं भी टूटे आपणौं
दु:ख होवै है
आंख्यां में कद आंसू रूके है
ओ मुसाफिर बड़ो चंचळ है।
दिल सूं प्यार रो नातौ गुम है।