बादळां नैं कैवो

बरसणो है तो

बरसो चुपचाप

मरुधर री तिरस

अबार सूती है

थांरी उडीक में

खोई है थांरै सुपनै में

आया हो तो बरस जावो

उणरै सुपनै रै साच हुवण सारू

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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