काळी बादळी आजे रे,

घरड़ घरड़ घड गरजण करती

थू वरस छमाछम जाजे रे।

ताळ बावड़ी सूखा सूनी

नदियाँ रा तीर पाळ

सावन भादो तरस तरस ग्या

तरस्या जैठ अषाड़

नदियाँ तर करती जाजे रे

बावड़ीया भरती जाजे रे

तीर पाळा, रौनक मेळा ने

थू वरस छमाछम जाजे रे

प्यासा पँछी नैण आस धर

आभ तके दिन रात

साँवरिया जू वई ने सांवळा

वरसो छम छम आज

पँछी री प्यास बुझा जे रे

घण घोर घटा वरसा जे रे

नैणा री आस बन्धावा ने

थू वरस छमाछम जाजे रे

फसल कदी री वाट नाळती

ताप ऊँ पड़ी निढ़ाळ

झमाट झम झम वरस वरस ने

कर दे ईण ने निहाळ

खेताँ मा अन्न उपजावां ने

खलिहाना भरती जाजे रे

किरसाणा भाग जगावा ने

थू वरस छमाछम जाजे रे

स्रोत
  • सिरजक : प्रियंका भट्ट ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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