म्हैं सुणयौ है

चूड़ियां भरया हाथ

कमजोर हुवै है

अबला तो

म्हैं पैला सूं

कहलावूं हूं।

म्हैं चावूं अबै

चूड़ियां री खणक नै

म्हैं क्यूं नीं बदळ दूं

म्हैं जाणूं हूं

मिनख बुरो मानेला

क्यूंक घणीं मीठी हुवै है

चूड़ियां री खणक

घर रे कामां मांय

चूड़ियां प्रेम रो संगीत

सरजीत करती रैवै है।

मिनख रै

प्रेम री प्रेरणां है खणक

सगळा इण पर मोहित है।

पिण

अबै म्हैं जाणूं हूं

मिनख रै मांयलो

आदिम पुरुष

दिन दिन जिनावर

रो रूप धरतौ जा रैयौ है तो

म्हैं क्यूं बणी रेवूं अबला?

सदियां बीती

चूड़ियां सूं जूड़ी रैय नै

बणी रैयी म्हैं अबला

अबै बणणौं है सबला।

मिनख री सन्तान

पिण बदनसीबी सूं

दिन दिन

जिनावर बण

नारी जात नै

मार रैया है डंक

देवै है आत्मा नै घाव

सरीर रा घाव तो

सगळा नै दिसे पिण

दिल ऊपर

घाव लेयने जीवणौं?

उण नासूर नै कुण देखे

इण रो कोई मलम नीं

तो पूरी मिनख जात माथै

कलंक बण जावै है

घिणोणौं बलात्कार

अबै हुवणौं है तैयार

सामनो कर जिनावर सूं

सगळी जाणगी है

चूड़ियांवाळा हाथां री

परिभासा बदलणी है

क्यूं नीं

चूड़ियां भरया हाथ

बणैं हथियार।

पूरी मिनख जात ऊपर

कलंक है घिनौणौं बलात्कार।

घिनौणौं बलात्कार।

स्रोत
  • पोथी : बगत अर बायरौ (कविता संग्रै) ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : साहित्य सरिता, बीकानेर ,
  • संस्करण : संस्करण
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