धन—धन चित्तौड़ री माटी

अठै हुया है वीर महान

तलवारां री फसल उगै अठै

शक्ति अर भक्ति री खाण

धन—धन चित्तौड़ री माटी

अठै हुया है वीर महान।

बप्पा रावळ अर कुम्भा रो आखो माण

विजय गाथा रो विजय स्तम्भ करै गुणगान

सांगा सरीखो अमर रणधीर

राख्यो पुण्य धज्जा रो माण

अस्सी घावां सागै भी लड़तो

ऊंची राखी मेवाड़ी शान

धन—धन चित्तौड़ री माटी

अठै हुया है वीर महान।

मेवाड़ी सिंहासन पर एकलिंगी शासन

नीं भूल्यो जा सकै गोरा बादळ रो बलिदान

वीर राणी पद्मणी सहस्त्र क्षत्राणियां

जौहर री ज्वाला सूं लिखगी शौर्य गाथा री अमिट कहाणियां

शक्ति भक्ति री नगरी मांय

सदा रैवैला नारी शक्ति रो अभिमान

धन—धन चित्तौड़ री माटी

अठै हुया है वीर महान।

पन्ना धाय रो अमर बलिदान

जाणै बुझै है सकल जहान

स्वामिभक्ति रै कारणै

कर्‌यो पूत रो दीप दान

पन्ना लिख दियो माटी पर

बलिदान रो काळजयी यशगान

धन—धन है चित्तौड़ री माटी

अठै हुया है वीर महान।

महाराणा परताप नैं

कुण अणभागी नीं जाणै

जद सगळी राजपूती तलवारां

अकबर रै पगां में रुळगी ही

मेवाड़ रो एक जबर हठीलो

अमरवीर माटी री शान

जो रियो सदा अण जीत्यो

अणझुक्यो वीरां री मूछ्यां रो ताव

धन—धन है चित्तौड़ री माटी

अठै हुया है वीर महान।

स्रोत
  • पोथी : सांची कैऊँ थांने ,
  • सिरजक : सीमा पारीक ,
  • प्रकाशक : ज्योति पब्लिकेशन्स बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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