(१)
कुण सामसी
प्रीत री रीत
कुण गायसी
बिरह गीत
कुण करसी
कागलै री उडीक
कुण उगेरसी फळसो
कुण चालसी
बडेरां री लीक ?

अे फगत 
सवाल कोनी!
साम्ही ऊभी चिंतावां हैI

कीं कर सको 
तो करो दिखाण !

(२)
चेतना घड़ी-घड़ी बदळै
भाडै़ रा मकान...

इयरफोन रै हवालै है
अबार घणकरा सा कान!

थेई बताओ 
हथाई नै जींवती
किंयां राखां ?

(३)
गुवाड़ पड़्या है सूना
चिलम हुगी ठीकरी!
बडेरां रा खंखारा
लाठी रा ठेगा
गमग्या है, कांई ठाह कठै?
मून पसरयो है चौफेरI


आओ...
तिबार्यां सूं सुणीजता
खबरिया चैनलां
रै हाकै बिच्चाळै
हथाई बचावां !

(४) 

बाबौ सूत कातता
सूत रै मिस 
बात कातता
जिया जूण रा
दु:ख-सुख नापता!

अठै री बात
बठै री बात
कीं घरबीती
कीं परबीती
गुवाड़ मांय ऊभा बै
ढेरियै नै बूंका’र
बट देंवता बात नै...

स्याणप सूं
सांवट लेंवता
दो हाथ लाम्बी 
बंटेड़ी बात री जात नैI

अबै किंया कतै बात?
जद  बाबै रो ढेरियो 
अळसीड़ै दांई 
टंगेड़ो है
बरसां सूं छात!

गवाड़ में 
टसकै है मिनखपणो 
खावै है हाथ नै हाथI

च्यार इंच री स्क्रीन बिच्चाळै
चेताचूक हुयोड़ा म्हे
बात करणी ई भूलग्या! 

(५) 
मोबाइल रै अडाणै
मेल दी है म्हे...

सणै अंगूठै आंगळी,
साबती हथाळी
अबै पांगळां हां म्हे !

(६)
फजलू मिंयां रो कूकड़ो
अबै बांग नीं देवै!

बो तो आप उडीकै
मोबाइल रै अलार्म नै
जिको फजलदीन भेळै
उणनै ई दिन ऊगणै रा
समचार देवैI

आ न्यारी बात कै 
अबै दोनूं ई 
अलार्म सूं उठै कोयनी!
स्रोत
  • सिरजक : हरिमोहन सारस्वत 'रूंख' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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