आओ से मिल लिख देवां
अेक हेत भरयोड़ी पाती
कोई किणी रो दोखी नीं होवै
सैंग बणै अेक दूजै रा साथी।
पांच आंगळ्यां अेक हाथ री
अेक-अेक की कर नीं पावै
पण पांचू जद भेळी होवै
मुट्ठी अेक बण जावै।
बंद मुट्ठी रो भरम बड़ो है।
घूंसो ई लागै तगड़ो है।
इण खातर सै भेळा रैवो,
अेक-अेक होयां रगड़ो है।