अेक छोटो

अर फूटरो सो

बाळक

कोठी रै आगै

खड़ी दो साईकिलां नै

पूंछी

अर फेर बारी-बारी

दो बस्ता ल्यार

बां रै केरियर पर

राख दिया।

अेक छोरो’र अेक छोरी

आया’र साईकलां पर

सवार हूय’र गया!

बो देखतो रेहग्यो

जद तांई बै गळी

नीं मुड़ग्या

बे टाबर ईं सूं

घणा फूटरा नीं हा।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : मनोजकुमार स्वामी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति (बीकानेर)
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