मोत्यां हंदी माळ चिड़कली।

दया धरम री डाळ चिड़कली।

सगळां री तूं सार राखजै,

भाई-चारो भाळ चिड़कली।

मिनखां री मरजाद राखजै,

ईजत मती उछाळ चिड़कली।

अगम-पिछम मं बाजै बायरा,

अपणी रखै रुखाळ चिड़कली।

मीठा-मीठा बोल बोलणां,

जावा दै जंजाल चिड़कली।

चौड़ै धाड़ै मिलै चोरटा।

चौखी रख सम्भाळ चिड़कली।

जीणों है दिन च्यार जगत में,

रीत प्रीत री पाळ चिड़कली॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मानसिंह राठौड़ ‘मातासर ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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