1.

अटार्‌यां सूं भरी
धरती माथै
मे’लण नै नीं है ठोड
चिड़कली रै दो पंजां सारू
तो बता रे भाई
आ धरती फगत
मिनख री है काईं?

2.

बेघर हो खुद
निज रा घर
बणावण-बसावण रै
आंधै सुवारथ मिस
आंधै मिनख
उजाड्या म्हारा घरआळा
खुद री ई मेटी पीड़
म्हारी तो बधाई नीं
बेघर होवण री पीड़
देय'र झपीड़?

3.

जिण छातां में
हौवता बरंगा-सैथीर
उणां में होंवता कदैई
म्हारा रैन-बसेरा
बां इज छातां में
होम्यो कब्जो
चीकणीं टाईलां रो
म्हे पंछीड़ा फिरां
डबकता अब
थूं तो भाई
खुद री ई सोची
क्यूं नीं आई?

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : अशोक परिहार 'उदय' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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