थूं मांगी
म्हैं सूं
म्हारी आवाज-
म्हैं कर दियौ
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म्हारी जुबान रौ
थारै नांव
थूं मांग्यौ
म्हारौ भविस
म्हैं कर दी
वसीयत
थांरै नांव,
थूं चायौ
म्हैं सूं म्हारौ
प्रतिनिधित्व
म्हैं लगा दी
मोहर
थारै नांव,
पण
अबै मौको मिलता ई
थूं बोल रैयो है-
बस
खुद खातर
करा रैयो है
सुरक्षित
खुदरौ भविस,
थरप रैयो है
प्रतिनिधित्व
खुद री पीढ्यां रौ
करा रैयो है सैं कीं
बस
खुद सारू-खुदवाळा खातर
अबै बता!
म्हैं कठै हूं?