फूलां री सौरम ज्यूं,
अदीठ
पण, भाखर स्यूं भारी,
हुवै चींत।
चींत रै ताण
ताणीजै ताणो
मिनख रो, समाज रो,
आखै जगत रो।
सौधीजै सौरफ,
सगळी जीया जूण री
चींत रूखाळै, पाळै,
सम्हाळै,
मानखो।
देवै दीठ जीवण रै,
उजळै परख री।
समंदर स्यूं ऊंडी,
आभै स्यूं ऊंडी,
आभै स्यूं ऊंची,
मरूथल रो रूंख,
हुवै चींत।
ढूंढै जीवण,
मौत री काळी
गार मैं।