गांम ना वचू
ऊभौ है जबरौ वड़लौ
आपड़ा डील ऊं नेंकळैं
लाम्ब-लाम्ब डाळं
अर डाळं थकी
नेंकळी वरूवेटै
जमावी दीधा है पोग
जमीं माथै
अंगद वजू...
वड़लौ जैटलौ फैलाई मअें
अैटलौ मौटौ चौरौ
वड़लै जौया हैं
गांम ना घणा खरा
उतार-चढ़ाव
आपड़ी गैहरीगट्ट छाया
नीचै आसरो आल्यौ
मनख, चौपं ने
पंखेरू ने
नवी पण्णीली नी डोळी
कै मोटियार नी टिक्टी
ततण धार आहुवं कै
हरख ना हिलोरा
समंदरसी संत वजू
आपणी नजरे जौयू है
चौरा माथै बैहीने
पंचं नौ न्याव
लैवड़-दैवड़ नं घपलं
धोरा माथै काळू देख्यू
पंछिअं नी अगार
रमवा वाळं छोर नौ
गुबराटौ बैठूं हूं
रातरे अंधारा मअें तौ
बौदू-बौदू देखाय
म्हूं हेत्तू जाणू
पण बोलतौ नथी
बौली ग्यौ तौ
ठाब-ठाबं नी पोळ खोलाय
आयं
बोतल नूं
ढांक खौलाय
अर
छेनारपणूं अे थाय है।