हींगळू हाथ उठाय, सिंझ्या माथै मांग भरै
सरवर जळ ठहराय, दरपण मुख आगै धरै
निरखै रूप संवार, अलकां सूं मोती खिरै
चिळकै टीकी चांद री, चांदी सा गळ गळ झरै।