इण धरती माथै
फूल अर कांटा दोनूई बिछ्योड़ा है
पण समझदार मिनख
कांटा रै चूभण री परवा नीं करता थकां
कांटा माथै पग धर नै
सावचेती सूं फूल चुण लेवै
अर बांरी सुगन्ध समाज में भी बिखेर देवै
पण करमहीण मिनख
कांटा माथै चाल’र खुद तो लोई लुवाण
हुवै ई पण बिछ्योड़ा कांटा नै फेरूं
जादा बिखेर नै
दूसरां रै वास्तै दुखड़ो इज पैदा करै
दोनूं मिनखां रै चालण चालण में
फरक है।
अेक खुद नै दुख देवै
अर दूसरां नै भी,
पण दूसरो कांटा माथै चालतां
थकां भी औरां नै
खुशबू अर प्यार देवै।