चांद अेकलो : अेक
उपाधियां रैं ढिगलै माथै
चांद सफा अेकलो
आभै में
कदै इण कूणै
तो कदै उण
जितरो आगो है चांद धरती सूं
जिनगी सांच्याणी
उतरी ईज आंतरै
कदै तो इण गळी आव रै चंदा
जे हुय सकै
आभै स्यूं धरती ताईं रो
कर देखाण सफर।
चांद अेकलो : दो
सुणीजै
चांद अडाणै म्हैलीजै
भीड़ री
जितरी ईज अबखायां हुवै
चांद उणा री रामबाण
इण वास्तै ओ दावो है
सबद जद पूगै
आभै ताईं
चांद रो थान हुवै (रीतो)।
चांद अेकलो : तीन
म्हैं देख्यो है
सैर रै आकासां में
नीबळो निरवाळो सो हांडतो
कवियां मांडी कवितावां
चितार्या चितराम
प्रेमियां टांग दियो
प्रेमिकावां रै जूड़ै
फूलां भेळै
पण जे निजरां थोड़ी सावळ होंवती
दीस जांवतो मुळकतो चांद
आखी कवितावां कूड़ी
सगळा चितराम नकारा
प्रेमियां जे टणकारता चंदै
हेत चांदणी बण’र बरसतो
प्रेमिकावां माथै
म्हैं देख्यो है
अणमणै सैर सूं
रीसाणों है चांद।