1- जात
म्हारै रंग माथै
म्हारै रूप माथै
म्हारै पहरावै माथै
म्हारी तमीज माथै
म्हारी बुध माथै
म्हारै ग्यांन माथै
म्हारै व्यक्तित्व माथै
म्हारै आखै अस्तित्व माथै
घणौ मोटौ सवाल है
म्हारी जात।
2- जात
जात
दैवीय रचाव कोनीं,
देवतावां री भांत
सिरजीजेड़ौ
कपटजाळ है
जिकौ सईकां सूं
लगौलग
बिछाइजेड़ौ है,
औ सागण
हथियार है
जिकौ म्हारी
सगळी जोगतावां माथै
आकरी मार है।
3- जात
अैन जातरा बिचाळै
सगळां साथै
हुवती बहसां मांय
म्हारौ व्यक्तित्व
म्हारौ ग्यांन
सरकायनै अेक पासै
मोड़ीज जावै बात,
क्यूंकै
बात
बहस रौ मुद्दौ
तै करै म्हारी
जात।
4- जात
जी, ग्यांनी जी!
थारै मांय हुय सकै थारी जात रौ
जात रौ गीरबौ,
थे बताय सकौ
गीरबै वाळौ
इतिहास,
म्हारा केई सईका
रैया है संघर्ष रा
विडरूपतावां रा,
इणी कारणे
ग्यांनी जी जद
घणी कुचरणी करनै
किणी भरी सभा मांय
बूझ लेवै म्हारी जात,
तद जांणै जम जावै खूंन
नीं गिटीजै थूक
हाल नीं सकै जीभ,
सुणौ ग्यांनी जी!
अबै म्हारै समझ आयग्यी
म्हारी सगळी विडरूपतावां
म्हारी सगळी विसंगतियां
थारी ई तो साजस ही,
अबै बूझीजौ कदै
म्हारी जात
वीं कुचरणीगारी मुळक साथै
अबै नीं हांफसी म्हारी सांस,
लगायनै आखौ दम
हलका साथै कैयसूं
हां,
हां, म्हैं चमार हूं।