सुण पेपला!

थारै भाग

सईका सूं

गादड़ां रै पंजां

मरणौ लिखेड़ी है?

जमीर इयां तौ जाबक

नीं बिकेड़ी है?

छेकड़ कद तांणी

डरबौ करसी

इयां रोटी-सटै

मरबौ करसी?

जिको भय नै रचै

वौ खुद डर सूं बचै,

इणी कारणै

वै डरै

आरक्षण री

छोटी-सी चिणगारी सूं,

वै जाणै

आथूणे बास री

लूंठी हेली

अर तरक्की री

नींव मांय थूं है,

बारूद भरीजेड़ी है,

वै डरै

जिण दिन

चिणगारी

बारूद तांणी जासी

उण दिन

अै हेली, तरक्की

धरी रैय जासी।

स्रोत
  • पोथी : पेपलो चमार ,
  • सिरजक : उम्मेद गोठवाल ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै