रातीजोगै में

मावड़्यां जी रा गीत

आखी रात म्हैं गाया।

मोटो रोट सेक

चूर चूरमो

भोग लगायो ठाकुरजी रै।

आस माता रा बरत म्हैं कर्‌या

फेर

फळ मिल्या भाई नै

म्हारी आस

क्यूं नीं पूरी देवां?

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : अंकिता पुरोहित ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ल ,
  • संस्करण : प्रथम
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