उजाळौ
म्हारी उम्मीदां रौ बसेरौ उजाळै
कागला पूरै लाव-लस्कर समेत
इत्ती धांधळी मचाई
के सगळौ आभौ काळौ व्हेग्यौ!
थूं इत्तौ लायक कोनी
के अंधारै रौ सोग मना सकै
माईतां रौ औ आदेस
अंधारै ने औरू गैरौ करग्यौ
मरवण म्हारी बाट जोवती रैयी
अर अेको-अेक तिणकलौ उजाळे रौ
लोग चुग-चुग नै लेयग्या...
वौ ढोलौ वा मरवण
पण म्हैं तौ खुद सूं ई हारग्यौ
पसेवै सूं रोटी पैदा करण रै डौळ में
अबै तो अंधारौ घणौ लखावै ई कोनी
पण जद-जद ई
म्हारै सपनां री आंख्यां फड़की है
अंधारै री कोर ऊजळी व्ही है।