हिवङै दाह अमूझो अंतस, गोखा खिड़की खोल मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
आजादी रै छह दसकां में, किता पावंडा म्है चाल्या।
कितीक उपज उदेई खाई, किता ऊंदरा म्है पाळ्या॥
किता जणां री गई गरीबी, किताक निभिया कौल मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
काळी पीळी आरक्षण री, आंधी सूं आंधी जनता।
सूझै कठै रास्तो कोई, थमग्या पग चलता चलता॥
बंदर बांट मूळधन खोयो, जीवण हुयो मखौल मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
किताक टाबर टींगर रूळण्या, किता निठारी कांड हुया।
बहना किती आबरू खोई, कठै कठै घमसाण हुया॥
किंया देस रो नक्सो होग्यो, ठौड़ ठौड़ बेडोळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
जांच करणियां जांच करै पण, किंया लागज्या बीस बरस।
न्याय ताकड़ी तुलतां तुलतां, मरग्या वादी तरस तरस॥
चवड़ै धाङै लुटै द्रोपदी, लाजै लाज डफोळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
क्यूं नीं पूग्यो आज च्यानणों, गवाड़ गळी घर आंगण में।
कुण है, क्यूं नीं डरै आज बै, घर-घर लाय लगावण में॥
कुण कतरै थारै केसां नैं, हिवड़ै नैं टंटोळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
सोनलिया सूरज रै आडौ, टांग्यो कुण तिरपाल किंया।
इंद्रधनुस नैं कुण तोङ्यो है, हियै बिचाळै पाळ किंया॥
जनता रै धन माथै नाचै, पगां पहर रमझौळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
मैंगाई निधड़क नाचै है, जमाखोर सै मौज करै।
लूटै है बाजार लोक नैं, लूटण वाळा कठै डरै॥
पूछै भूखो मीत सुदामो, कठै किसन री पोळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
डरूं-फरूं ऊभी सच्चाई, कूड़ कुदड़का किंया करै।
चुगलखोर चौपाळां बैठ्या, लांबी चौड़ी डींग भरै॥
उळझ्यो सूत कुण सुळझावै, हो रैयी घोळमथौळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥
लोभ लाभ लालच रै पेटै, अफसर नेता छोड़ी कांण।
अपणी अपणी जेब भरण में, ठौड़ ठौड़ है खींचाताण॥
मिनखीचारो हुयो दिवंगत, जीवण हुयो मखौळ मिनख।
किताक दिन गूंगो होय रैहसी, होठां रा पट खोल मिनख॥