जीवण री हर राख, हार मत हिम्मत रे

बिखै पळ्योड़ा जीव, जिणां री कीमत रे

रात अंधारी घोर, गिगन गरणावै

बीजळ चिमकै जोर, मनां डर आवै

कळायण धोवैला दिन-रात, मानवी डर मत रे

जीवण री हर राख, हार मत हिम्मत रे

सूरज तेवर तपै, जीव बिलखावै

तन रा पोचा, तावड़ियै तिड़ जावै

तपसी मांणस मोल, तापसी तिरपत रे

जीवण री हर राख, हार मत हिम्मत रे

आंधी धूळ-बथूळ, मुलक नीं मावै

आंख मींच मत मिनख मांन मर जावै

पलटै भूम अजूम छोड़ मत सतपथ रे

जीवण री हर राख, हार मत हिम्मत रे

सीयाळै री रात सोगनां खावै

पण परभाती धुंवर धरा पर लावै

अणगिण मोती मोल मानखा गिण मत रे

जीवण री हर राख, हार मत हिम्मत रे

समदर छोळा-छोळ घणौ डरपावै

पिरथी परळै पलट पांवणी आवै

छोड पुरांणी पाळ, पाप रा परबत रे

जीवण री हर राख, हार मत हिम्मत रे।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : लक्ष्मण सिंघ रसवंत ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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