तड़काऊ रा राजा करण री बगत

माथै लगा टीकी

बण भगत

थळी माथै धोक देय

अेक सेठजी खोलै दुकान।

बोवणी करती बगत

भगवान रौ नांव लेय

काण री ताकड़ी में

बाट धरै घिस्योड़ा

तोलतां मार देवै डांढी

अर कठैई कोई करण

मरण वरै

ताकड़ी रै चेळै में

बिक जावै भगवान

व्है जावै बोवणी।

कांई ठा किण किण नै बौवै बोवणी।

स्रोत
  • पोथी : झळ ,
  • सिरजक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : जुगत प्रकासण, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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