न्हें बोलै वेना काठा गंउ पड़्या रयं
म्हारै देस नं मनखं नो अैवो सभाव थईग्यो है
अेक मौरै वधै तो बीजो हाईनै पाछो खेंचै
अणी खेंचम खेंच नी नाटक बाजी मअे
आयं नो मानवी आयं’ज रईग्यो है
जेनै आपणै खातो-पीतो अर मातो कं हं
व्हो तो आज ना जमारा मअे
पईसो खायै है पईसो ओढै है पईसो वचावै है
अर पईसो नचावै है
वैनै बापड़ा नैं देस नी हूं पड़ी है
वेनै तो दन होना नो रातर रूपा नी डळी है
धन हरतै भेळू थाय अणी चिन्ता मअे
ऊंघ न भी फांफं पड़ै है
अर ऊंघ सारू गोळियां नो आसरो लेवो पड़ै है
पण नेंदर तो वेनी नातरै जाती रई है
कणा गरीब नी घरवारी बणी गई है
पण तोय हूं
यो तो वगत बेवगत
देस नो करणधार बणवा नो नाटक करीरयो है
आपणै स्वारथ नी खातर
देस वेचवा नी कोसिस करीरयो है
पण अेनै या खबर न्हें है कै
देस नूं मानवी अवै जागीग्यू है
अर पेट ना उठता धुंवाड़ा मअे थकी जोईरयू है
जणै दन भी अेनी तीजी आंख उघड़ेगा
वणी दन तारा ई सब ठाठ यं’ज रई जयंगा
तारी होना नी हुगमणी लंका भसम थई जायेगा
अतरै म्हूं तो अतरू’ज कऊं
के जैना अनजल ऊं तू मोटो थ्यो
जणी मअे रई तै माँ नी लोरी सांभळी
जौवनी ना गीतं नो लावरो लीधो
वैनो करज चुकाव अर देस नो मान वधाव
देस नैं मजबूत बणाब्बा नीवं नो भाटो था
देस सारू कुरबानी आलवा सारू काठो था
तो तो तारू अणा देस मअे जनम लेवू सफल है
न्हें तो वणा कीड़ाया कूतरा वजू फरैगा
अर गद्दारी नो दाग
माथा माथै लई
जेळ नी कणी काळ-कोठरी मय हड़ैगा...।