थारी दुनिया री अळूझाटां री किणी कोर
रैवती हुवैली कठैई राधा ई स्यात
बोल कान्हा!
मथुरा रै महला ई दिखू कै
कदै-कठैई पल-छिण
थारी यादां री सळवटां नैं
कदै'ई
सीधी करै कांई म्हारी ओळ री उस्तरी?
कान्हा सूं क्रिस्ण री इण भाव-जातरा
कठैई उतार आयो थारी राधा रो प्रीत-भारियो
कै काळजै रै गाडूलियै लियायो
आपणी हथाई रा बै बेसकीमती मोती
बोल क्रिस्ण!
म्हनैं तो मिल जावै है
जमना किनारै
कै किणी सरवर री पाळ
ग्वाळियां री बंसरी री मधरी तान में
कै किणी बिलोवणै मथीजतै दही रै सुरीलै सुरां
अर गायां रै गहुँ बाजती घंट्यां री रुणझुण में
अरे कान्हा
म्हारो तो दिन ओजू ई चेतन हुवै
थारी ओळं रै उणियारै
अर आंथतै सूरज री लाली में
ढळे यूं म्हारै काळजै
कांई तरवारां री खनक बिचाळे थारै कानां ई पड़े
म्हारी पायली रमक-झमक
बोल रे कान्हा!
कै यूं साच्याणी क्रिस्ण हुयग्यो है।