केवै है-
सुपनै में आवै बडेरा,
इण लेखै
लारलै दिनां ई
घरवाळा कैवता हा-
'आया हा मा सुपनै में
कीन्ही ई बंतळ उणां सूं!'
म्हैं सुण’र उणां री बातां
मनोमन हंस्यौ-
मा तौ पड़तख बसै
म्हारै-बांरै रूं-रूं मांय
करै नितूगै लाड
सुणावै लोरी हरमेस...
करै बै सै जतन
नीं लागै म्हांनै
किणी री निजर
म्हे मा रा लाडेसर!
अर इण पाण ई
नीं है म्हांनै
कोई चिंता
क्यूं कै म्हारी पांती री
सै चिंतावां
ओट लेवै मा
जणै ई
म्हारा हर पळ, हर छिण
रैवै हरख-उमाव सूं सवाया
आ ईज चावना
राखै ई हरमेस
म्हारी मा!