लूम-झूम मदमाती, मन बिलमाती, सौ बळ खाती,

गीत प्रीत रा गाती, हंसती आवै बिरखा बींनणी।

चौमासै में चंवरी चढनै, सांवण पूगी सासरै

भरै भादवै ढळी जवानी, आधी रैगी आसरै

मन रौ भेद लुकाती, नैणां आंसूड़ा ढळकाती

रिमझिम आवै बिरखा बींनणी।

ठुमक ठुमक पग धरती, नखरौ करती

हिवड़ौ हरती, बींद पगलिया भरती

छम-छम आवै बिरखा बींनणी।

तीतर बरगी चूंदड़ी नै काजळिया री कोर

प्रेम डोर में बंधती आवै रूपाळी गिणगोर

झूठी प्रीत जताती, झींणै घूंघट में सरमाती

ठगती आवै बिरखा बींनणी।

घिर-घिर घूमर रमती, रुकती थमती

बीज चमकती, झब झब पळका करती

भंवती आवै बिरखा बींनणी।

परदेसण पांवणीजी, पुळ देखै नीं बेळा

आलीजा रै आंगणै में करें मनां रा मेळा

झिरमिर गीत सुणाती भोळै मनड़ै नै भरमाती

छळती आवै बिरखा बींनणी।

लूम-झूम मदमाती, मन बिलमाती

सौ बळ खाती, गीत प्रीत रा गाती

हंसती आवै बिरखा बींनणी॥

स्रोत
  • पोथी : हेमाणी पत्रिका परम्परा ,
  • सिरजक : रेवंतदान चारण ,
  • संपादक : तेजसिंघ जोधा
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