सुण टीटूड़ी।

पांख पसार

भर ऊंचै अम्बरां उडार।

जात-धरम री सींव निमाणी

मिनखां-मिनखां, अळगा पाणी

रीतां-भींता तिरछी, काणी,

जीतब आडी काढै कार।

सुण टीटूड़ी।

पांख पसार।

कर, बा कर, अळगी नेड़ी

धरती घातै पगलां बेड़ी

मेड़ी-मेड़ी एक कमेड़ी,

स्वारथ सारू घातै बा’र।

सुण टीटूड़ी।

पांख पसार।

मिनखापत रै दांतां लावण

घर-घर माच्या रांधण-खावण

फाट्यै दूध नीं लागै जावण

रावण, रावण, रैवणौ भार।

सुण टीटूड़ी।

पांख पसार

भर ऊँचे अम्बरां उडार।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : पृथ्वीराज गुप्ता ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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