धरती टसकै

देख-देख

मिनख रा चाळा

जिको है साव नागो

चावै नित नवों

पैरै बो गाभो

मिनखां में

मिनख रो रैवणों

भोत दोरो है

टैम टाळण

भलो माणस डरतो.

धोकै देई-देवता

तक-तक आभो

मिनख बोलै

म्हैं भी कदास

पंछी होंवता

भेळा चुगता

भेळा उडता

फेर तो

म्हारो होंवतो

सगळो आभो।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : इंद्रा व्यास
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