कागलिया री

कांव-कांव सूं

कांपती कोयलड़ी

ईण्डा फूटण रै डर सूं

कूं-कूं करै

अर लौग सोचै

कित्तो मीठौ गावै है।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : राजेन्द्र सिंह चारण ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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